Monday 17 January 2022

Samas Ke Kitne bhed hote hain | समास क्या है और कितने प्रकार के होते है? (Samas In Hindi)

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आज हम इस लेख में जानने वाले है samas ke kitne bhed hote hain. (समास कितने प्रकार के होते है।) यहाँ पर हम समास किसे कहते है। समास के कितने भेद होते है। आदि के बारे में विस्तार से जानने वाले है। तो बने रहिये पोस्ट में।
samas ke kitane bhed hote hai

Samas ke kitne bhed hote hain - समास भी हिंदी व्याकरण का ही एक मुख्य स्तम्भ है। समास के प्रयोग से हिंदी व्याकरण में चार चाँद लग जाते है। इसके माध्यम से दो या दो से अधिक शब्दों को मिलकर एक शब्द का निर्माण किया जाता है।


आप सभी तो जानते ही है कि हिंदी भाषा का पूर्ण रूप पाने लिखने या बोलने के लिए हिंदी व्याकरण का ज्ञान होना कितना जरुरी है। इसलिए आज हम यहाँ पर Samas kya hai [ Samas kitane prakar ke hote hain] समास से सम्बंधित सभी तथ्यों के बारे में विस्तार से चर्चा करने वाले है।

Samas ki Paribhasha क्या है। [Samas in hindi]

समास को सरल शब्दों में परिभाषा है दो या दो से ज्यादा शब्दों को मिलाकर संक्षिप्त रूप नया सार्थक शब्द बनता है तो उसे ही समास कहा जाता है। समास का शाब्दिक अर्थ होता है संक्षिप्त या संक्षेप में।


हिंदी व्याकरण में समास का मुख्य प्रयोग दो या इससे अधिक शब्दों को संक्षिप्त सार्थक शब्द बनाना होता है।

समास किसे कहते हैं? समास कितने प्रकार के होते हैं [Samas ke kitne bhed hote hain]

मुख्यतः समास 6 प्रकार के होते है जिसके बारे में आगे हमने विस्तार से उदाहरण सहित समझाया है। यहाँ पर हमने कुछ उदाहरण के माध्यम से समास को आसान तरीके से समझाने का प्रयास किया गया है। जिसे आप आसानी से समझ सकते है।

मान लीजिये हमने यहाँ पर एक सामासिक शब्द "राजपुत्र" को उदहारण के लिए लिया है। राजपुत्र को शब्दों से मिलकर बना है, राजा और पुत्र जिनका अर्थ समान ही है। इसे ही समास कहते है। राजपुत्र में दो पद है जिसमे राजा पूर्वपद और पुत्र उत्तरपद कहा जाता है।

Samas Vigrah kya hota hai ? [Samas kitne prakar ke hote hai]

आपने ऊपर दिए गए उदाहरण को देखा समास विग्रह में सामासिक शब्द के बीच के संबंध को दर्शाया जाता है।

जैसे राजपुत्र का हम समास विग्रह करते है तो [राजपुत्र= राजा का पुत्र] यहाँ पर आप राजा और पुत्र के संबंध को आसानी से देख सकते है। इसमें तत्पुरुष समास है।

समास कितने प्रकार के होते है। (Samas ke kitne bhed hote hain)

अक्सर बहुत लोगो में samas ke prakar और samas ke bhed को लेकर उलझन होती है। इसलिए आपके जानकारी के लिए बता देते है कि समास के प्रकार और समास के भेद का अर्थ एक ही होता है।

सामान्यतः समास 6 प्रकार के है। यानि समास के 6 भेद होते है। जिसे आप निचे देख सकते है।
  • अव्ययीभाव समास
  • तत्पुरुष समास
  • बहुव्रीहि समास
  • द्विगु समास
  • द्वंद समास
  • कर्मधारय समास
दोस्तों ऊपर आपने जान लिया कौन कौन से समास के भेद है। अब हमने नीचे 6 समास के बारे में उदाहरण सहित विस्तार से बताया हुआ है।

जैसा की आपने ऊपर जान कि समास में दो पद होते है। पहला शब्द पूर्व पद और दूसरा शब्द उत्तरपद कहा जाता है। और इन्ही पद की मदद से हम पहचानते है कि यह शब्द में कौन सा है।

1- अव्ययीभाव समास (avyayi samas ki paribhasha)

समास दो शब्दों से मिलकर बना होता है। जिसका पहला शब्द यानि पूर्व पद मुख्य होता है। जिसका सामासिक शब्द का पूर्व पद प्रधान होता है। तथा सामासिक पद अव्यय होता है उसे अव्ययीभाव समास कहते है।

इसका पूर्व पद उपसर्ग होता है। यानि जब भी कोई दो शब्दों को जोड़कर समास बनाया जाता है तो पूर्व पद (प्रथम शब्द) मुख्य होता है।
Avyayibhav samas ke udaharan -
  • अनु + रूप = अनुरूप
  • यथा + संभव = यथासंभव
  • प्रति + दिन = प्रतिदिन
  • पेट + भर = भरपेट
अव्ययीभाव समास में आप देख सकते है कि पहला शब्द प्रधान है।

2- तत्पुरुष समास (tatpurush samas ki paribhasha aur bhed)

तत्पुरुष समास अव्ययीभाव समास के उल्टा होता है। इसका उत्तरपद मुख्य होता है। जिस भी सामासिक शब्द में दूसरा शब्द यानि उत्तर पद मुख्य होता है वह तत्पुरुष समास होता है। इसमें पहला पद विशेषण तथा दूसरा पद विशेष्य होता है।

तत्पुरुष समास में कर्ता और सम्बोधन के कारक के विभक्ति के अलावा अन्य सभी कारक विभक्तियों का प्रयोग होता है।

तत्पुरुष समास में आने वाले कारक चिन्हों (को, से, के लिए, से, का/के/की, में, पर) आदि का लोप होता है। इसके अलावा तत्पुरुष समास के 6 उपभेद भी होते है। जिनके बारे में नीचे हम विस्तार से बताया गया गया है।
Tatpurush samas ke udaharan-

  • आत्मघाती - खुद को मारने वाला
  • गिरिधर - गिरी को धारण करने वाला
  • मांसाहारी - मांस को खाने वाला
  • करुणापूर्ण - करुणा से पूर्ण
  • राजद्रोही - राजा को धोखा देने वाला
  • मूर्तिकार - मूर्ति को बनाने वाला
  • कालजयी - काल को जितने वाला
  • कठफोड़वा - काठ को फोड़ने वाला

तत्पुरुष समास के उप भेद ( Tatpurush samas ke kitane bhed hote hai)

तत्पुरुष समास को कारक चिन्हों के अनुसार 6 भागो में वर्गीकृत किया गया है। जिसे हम तत्पुरुष के उप भेद भी कहते है। तत्पुरुष समास के छः भेद निम्नलिखित है।
  • कर्म तत्पुरुष समास
  • करण तत्पुरुष समास
  • सम्प्रदान तत्पुरुष समास
  • अपादान तत्पुरुष समास
  • सम्बन्ध तत्पुरुष समास
  • अधिकरण तत्पुरुष समास

(i) कर्म तत्पुरुष समास (karm tatpurush samas)

कर्म तत्पुरुष समास में को चिन्ह से लोप होता है। निम्नलिखित उदाहरण में आप देख सकते है। दूसरा शब्द उत्तर पद प्रधान है। और पूर्व पद गौण है। अगर आप इसका समास-विग्रह करते है तो को योजक चिन्ह "का" लोप (जुड़) होता है।
कर्म तत्पुरुष समास के उदाहरण-
  • रथचालक- रथ "को" चलाने वाला
  • परलोकगमन - परलोक "को गमन
  • सिरतोड़ - सिर "को तोड़ने वाला
  • जेबकतरा - जेब "को कतरने वाला
  • गगनचुम्बी - गगन "को चूमने वाला

(ii) करण तत्पुरुष समास (karan tatpurush samas)

करण तत्पुरुष समास ("से" और "के द्वारा") 2 कारक चिन्हों के लोप से बनता है। "से" लोप से बने करण तत्पुरुष समास के उदाहरण-
  • मनमाना - मन "से" माना हुआ
  • करुणापूर्ण - करुणा "से" पूर्ण
  • कष्टसाध्य - कष्ट "से" साध्य
  • शोकातुर - शोक "से" आतुर
  • शराहत - शर "से" आहत
  • शोकाकुल - शौक "से" आकुल
"के द्वारा " लोप से बने समास के उदाहरण-
  • भुखमरा - भूख से मरा
  • अकालपीड़ित - अकाल से पीड़ित
  • रसभरा - रस से भरा
  • वाल्मीकिरचित - वाल्मीकि द्वारा रचित
  • आचार्कुशल - आचार से कुशल
  • सूररचित - सूर द्वारा रचित
  • मनचाहा - मन से चाहा
निम्नलिखित उदाहरण में आप देख सकते है। दूसरा शब्द उत्तर पद प्रधान है। और पूर्व पद गौण है। अगर आप इसका समास-विग्रह करते है तो को योजक चिन्ह "से" लोप (जुड़) होता है। (आप पढ़ रहे है samas ke kitne bhed hote hain)

(iii) सम्प्रदान तत्पुरुष समास (sampradan tatpurush samas)

इसमें कारक चिन्ह "के लिए" का लोप होता है। निम्नलिखित उदाहरण में आप देख सकते है। दूसरा शब्द उत्तर पद प्रधान है। और पूर्व पद गौण है। अगर आप इसका समास-विग्रह करते है तो को योजक चिन्ह "के लिए" लोप (जुड़) होता है।

sampradan tatpurush samas ke udaharan-
  • देशभक्ति - देश के लिए भक्ति
  • प्रयोगशाला - प्रयोग के लिए शाला
  • गौशाला - गौओं के लिए शाला
  • सभाभवन - सभा के लिए भवन
  • यज्ञशाला - यज्ञ के लिए शाला
  • देशार्पण - देश के लिए अर्पण
  • लोकहितकारी - लोक के लिए हितकारी
  • सत्याग्रह - सत्य के लिए आग्रह
  • राहखर्च - राह के लिए खर्च
  • विद्यालय - विद्या के लिए आलय
  • हथकड़ी - हाथ के लिए कड़ी
  • रसोईघर - रसोई के लिए घर
  • डाकगाड़ी - डाक के लिए गाडी
  • देवालय - देव के लिए आलय

(iv) अपादान तत्पुरुष समास (apadan tatpurush samas)

अपादान तत्पुरुष समास में अपादान कारक चिन्ह (apadan karak ka chinh) "से" का लोप होता है। उदाहरण के लिए नीचे दिए गए समास को देख सकते है।
apadan tatpurush samas ke udaharan-
  • बंधनमुक्त - बंधन से मुक्त
  • धनहीन - धन से हीन
  • जलहीन - जल से हीन
  • विद्यारहित - विद्या से रहित
  • नेत्रहीन - नेत्र से हीन
  • पथभ्रष्ट - पथ से भ्रष्ट
  • जीवनमुक्त - जीवन से मुक्त
  • गुणहीन - गुण से हीन
  • दूरागत - दूर से आगत
  • जन्मांध - जन्म से अँधा
  • रोगमुक्त - रोग से मुक्त
  • पापमुक्त - पाप से मुक्त

(v) सम्बन्ध तत्पुरुष समास (sambandh tatpurush)

जब सम्बन्ध तत्पुरुष समास सम्बन्ध कारक के चिन्ह "का", "के" और "की" का लोप रहता है वहां पर सम्बन्ध तत्पुरुष समास रहता है। नीचे दिए गए उदाहरण को आप देख सकते है।
sambandh tatpurush samas ke udaharan
  • उद्योगपति - उद्योग का पति
  • राजसभा - राजा की सभा
  • गृहस्वामी - गृह का स्वामी
  • भारतरत्न - भारत का रत्न
  • पुष्पवर्षा - पुष्पों की वर्षा
  • जलधारा - जल की धारा
  • पराधीन - दूसरों के आधीन
  • सेनापति - सेना का पति
  • राष्ट्रगौरव - राष्ट्र का गौरव
  • राजदरबार - राजा का दरबार
  • देशरक्षा - देश की रक्षा

(vi) अधिकरण तत्पुरुष समास (adhikaran tatpurush samas)

अधिकरण तत्पुरुष समास में कारक चिन्हों "में" तथा "पर" का लोप होता है। निम्न लिखित उदहारण में आप देख सकते है।
  • जलज - जल में जन्मा
  • पर्वतारोहण - पर्वत पर आरोहण
  • नरोत्तम - नारों में उत्तम
  • जलसमाधि - जल में समाधि
  • नीतिकुशल - नीति में कुशल
  • ग्रामवास - ग्राम में वास
  • गृहप्रवेश - गृह में प्रवेश
  • आपबीती - आप पर बीती

3- बहुव्रीहि समास (bahuvachan kise kahate hain)

ऐसा समास जिसमें कोई भी पद मुख्य (प्रधान) नहीं होता है। इसमें दोनों पद मिलकर किसी तीसरे पद को व्यतीत करते है। उसे बहुव्रीहि समास कहते है। बहुव्रीहि समास समास में पूर्व पद तथा उत्तर पद दोनों गौण होते है।

उदाहरण के लिए आप देख सकते है- "गजानन = गज का है आनन" इसमें आप देख सकते है न ही गज प्रधान पद है और न ही आनन। ये दोनों शब्द मिलकर किसी तीसरे पद की की ओर इशारा कर रहे है। गजानन जिसका अर्थ होता है गणेश इसलिए यह बहुव्रीहि समास समास है।
बहुव्रीहि समास के उदाहरण-
  • गजानन - गज का है आनन जिसका अर्थ होता है = (गणेश)
  • घनश्याम - घन जैसा श्याम है जिसका अर्थ होता है = (कृष्ण)
  • चतुर्भुज – चार है भुजाएं जिसका अर्थ होता है = (विष्णु)
  • पंकज – पंक में जो पैदा हुआ हो जिसका अर्थ होता है = (कमल)
  • वीणापाणि – वीणा है कर में जिसके अर्थात = (सरस्वती)
  • नीलकंठ - नीला है कंठ जिसका जिसका अर्थ होता है = ( शिव)

4- द्विगु समास (dvigu samas ki paribhasha)

इस समास में पहला शब्द संख्यावाचक होता है। मतलब किसी सामासिक शब्द के पूर्व से किसी संख्या का आभास होता है तो वहा द्विगु समास होता है। जिसका शाब्दिक अर्थ है, शब्दों का समूह।

साधारण शब्दों में समझे तो जिस भी समास में किसी संख्या का बोध होता है। उसे द्विगु समास कहते है।
dvigu samas ke udaharan
  • सतसई - सात सौ दोहों का समूह
  • अष्टधातु - आठ धातुओं का समाहार
  • अठन्नी - आठ आनों का समूह
  • चवन्नी - चार आनों का समूह
  • शताब्दी - सौ अब्दो (वर्षों) का समूह
  • त्रिनेत्र – तीन नेत्रों का समाहार
  • पंचमढ़ी – पांच मणियों का समूह

5- द्वंद समास (dwand samas ki paribhasha aur bhed)

इस समास में दोनों पद ही प्रधान होते है। जैसे माता-पिता इसमें इसमें दोनों ही पद मुख्य है। इसलिए यह द्वन्द समास है। द्वन्द समास के अपने 3 उपभेद है- (dwand samas ke bhed)
  1. इत्येत्तर द्वंद
  2. समाहार द्वंद
  3. वैकल्पिक द्वंद।
dwand samas ke udaharan
  • शीतोष्ण- शीत या उष्ण
  • गुण – दोष - गुण और दोष
  • आग – पानी - आग और पानी
  • ऊंच – नीच - ऊंच या नीचे
  • छब्बीस - छः और बीस
  • कृष्णार्जुन - कृष्ण और अर्जुन
  • पाप–पुण्य - पाप या पुण्य

6- कर्मधारय समास (karmadharaya samas ki paribhasha)

इस समास का प्रथम पद विशेषण तथा द्वितीय पद विशेष्य होता है। साधारण शब्दों में कहे तो जिस समास का प्रथम पद मुख्य हो और दूसरा पद उपमान- उपमेय और विशेषण- विशेष्य सम्बन्ध हो उसे कर्मधारय समास कहते है।

यह समास चार प्रकार के होते हैं विशेषण पूर्वपद, विशेष्य पूर्वपद, विशेषणोभय पद तथा, विशेष्योभय पद।
karmadharaya samas ke udaharan
  • विद्यारत्न – विद्या ही रत्न है
  • मृगनयनी – मृग के समान नयन
  • चन्द्रमुख = चन्द्रमा के समान है
  • महात्मा – महान है जो आत्मा
  • नीलकमल – नीला कमल
  • क्रोधाग्नि = क्रोध रूपी अग्नि
  • प्राणप्रिय – प्राणों से प्रिय
आपने क्या सीखा ?
यहाँ पर आपने सीखा Samas ke kitne bhed hote hain [ समास किसे कहते है। और samas me kiten bhed hote hai आदि के बारे में आपने जाना है।

मुझे आशा है कि आपको यह जानकारी बहुत useful लगी होगी। अगर आपको समास क्या होता है। समास कितने प्रकार के होते है ? Samas in hindi से संबधित कोई भी समस्या हो। तो आप कमेंट में अवश्य पूछ सकते है। जानकारी अच्छी लगी हो तो से शेयर करना न भूले।
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