Friday 14 January 2022

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय | Padumlal Punnalal Bakshi ka Jeevan Parichay For class 10th

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Padumlal Punnalal Bakshi ka Jeevan Parichay-आज हम इस पोस्ट में पुन्नालाल बख्शी के जीवन परिचय, रचनाएँ, और साहित्यिक परिचय के विषय में बारे  चर्चा करने वाले है। 

अगर आप एक दशवीं के छात्र है, तो आपको आपको Padumlal Punnalal Bakshi ka Jeevan Parichay अवश्य पता होना चाहिए क्योंकि अधिकतर इनका जीवन परिचय 10th के परीक्षा पूछा जाता है। तो चलिए जानते है पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय और उनके हिंदी साहित्य के क्षेत्र  योगदान रहा। 

padumlal punnalal bakhshi ji jivani
बख्शी जी के जीवन के बारे  जानने से पहले हम आपको बताना चाहते है कि यह लेख कक्षा 10 और 12 के परीक्षा में लिखने के योग्य बनाया गया है। जिससे की आप Padumlal Punnalal Bakshi ka Jivan Parichay को बोर्ड के परीक्षा में भी इसी आधार पर लिख सकते है।

Padumlal Punnalal Bakshi ka Jeevan Parichay (पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय) 

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जन्म 27 मई, 1894 ई० में जबलपुर के खेरागढ़ नामक स्थान पर हुआ था।  इनके पिता पुन्नालाल बख्शी तथा उमराव बख्शी साहित्य-प्रेमी और कवि थे। इनकी माता को भी साहित्य से प्रेम था। 

Sarvanaam ke kitne bhed hote hain

Tulsidas ka jivan parichay

इनके परिवार में सभी साहित्य प्रेमी से जिसका प्रभाव इनके ऊपर भी पड़ा अतः ये भी स्कूल के दिनों से ही कविताओं की रचना करने लगे थे। 

B. A. पास करने बाद इन्होंने 'सरस्वती'  में अपनी रचनाये प्रकाशित करने लगे। बाद में 'सरस्वती' पत्रिका के अलावा और भी अन्य पत्रिका में इनकी रचनाए प्रकाशित होने लगी। 

इनकी कवितांए स्वच्छन्दवादी थी। जिन पर अंग्रेजी कवि वर्ड्सवर्थ का स्पष्ट प्रभाव परिलक्षित होता हैं।  बक्शी जी की प्रसिद्धि का मुख्य आधार आलोचना और निबन्ध-लेखन होती हैं। साहित्य के यह महान साधक 27 दिसम्बर, 1971 ई० को परलोकवाशी हो गए। 

Padumlal Punnalal Bakshi ka Sahityik Parichay (साहित्यिक परिचय)

पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की गणना द्विदेदी-युग के प्रमुख साहित्यकारों में होती हैं। बख्शी जी विशेष रूप से अपने ललित निबन्धों के लिए याद किये जाते हैं। ये एक विशेष शैलीकार के रूप में भी प्रसिद्ध थे। 

इन्होने जीवन, समाज, धर्म, संस्कृति और साहित्य आदि विषय में उच्चकोटि की निबंध लिखे हैं। यत्र-तत्र शिष्ट हास्य-व्यंग के कारन इनके निबंध रोचक होते थे। 

बख्शी जी ने 1920 ई० से 1927 ई० तक बड़ी कुशलता 'सरस्वती पत्रिका का संपादन किया था। कुछ वर्षो तक इन्होने 'छाया' मासिक पत्रिका का भी संपादन किया। इनके अलावा इन्होंने स्वतंत्रतवादी काव्य एवं समीक्षात्मक कृतियों का सृजन किया। 

निबंधों आलोचकों, कहानियों, कविताओं और अनुवादों में इनके गहन अध्ययन और व्यापक दृष्टिकोण की स्पष्ट छाप हैं। इन्हे हिन्दी साहित्य सम्मलेन द्वारा 1949 में साहित्य वाचस्पति की उपाधि से अलंकृत किया गया था। 

Padumlal Punnalal Bakshi ki rachna (रचनाएँ)

आपने अभी ऊपर पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी जी का Padumlal Punnalal Bakshi ka Jeevan Parichay और Padumlal punnalal bakshi ka sahityik parichay के बारे में पढ़ा है। अब हम इनके कृतियों के बारे में जानेंगे, बख्शी जी ने अपने जीवन बहुत से कृतियों की रचना की जो इस प्रकार हैं। 

निबंध-संग्रह

'प्रबन्ध पारिजात', 'पंचपात्र', 'मकरंद बिंदु', 'कुछ बिखरे पन्ने', मेरा देश' आदि इनकी निबंध- संग्रह हैं। 

कहानी-संग्रह

'झलमला', और अंजलि।  

आलोचना

'विश्व साहित्य', 'हिन्दी साहित्य विमर्श', 'साहित्य शिक्षा', 'हिन्दी उपन्यास साहित्य', 'हिन्दी कहानी साहित्य', 'प्रदीप' समस्या', 'समस्या और समाधान', 'पंचपात्र', 'पंचरात्र', 'नवरात्र, यदि मैं लिखता। 

नाटक- अन्नपूर्णा का अनुवाद (मौरिस मैटरलिंक के नाटक 'सिस्टर बीट्रीस' का अनुवाद) 'उन्मुक्ति का बंधन' आदि इनकी नाटक रचना हैं। 

काव्य-संग्रह- 'शतदल', 'अश्रुदल', और 'पंचपात्र'।

उपन्यास- कथाचक्र, भोला (बाल उपन्यास), वे दिन (बाल उपन्यास)।  

आत्मकथा-संस्मरण में - जिन्हें नहीं भूलूंगा, मेरी अपनी कथा, अंतिम अध्याय। 

साहित्य समग्र- बक्शी ग्रंथावली (आठ खंडो में)

बख्शी जी की भाषा शुद्ध साहित्यिक खड़ीबोली हैं। भाषा में संस्कृत शब्दावली का अधिक प्रयोग हैं। उर्दू तथा अंग्रेजी के शब्दों का भी प्रयोग हुआ हैं। उनकी भाषा में विशेष भाव मिलते हैं। 

इनकी शैली गंभीर, प्रभावोत्पादक, स्वाभाविक और स्पष्ट हैं। अपने लेखन में समीक्षात्मक, भावनात्मक विवेचनात्मक, व्यंग्यात्मक शैली को इन्होंने अपनाया हैं।

Padumlal Punnalal Bakshi ka Jeevan Parichay (महत्वपूर्ण तथ्य)

याद करने योग्य संक्षिप्त परिचय
जन्म 27 मई, 1894 ई ०
जन्म-स्थान खैरागढ़ (जबलपुर)
पिता पुन्नालाल बख्शी
मृत्यु 27 दिसम्बर, 1971 ई०
भाषा खड़ीबोली
संपादन 'सरस्वती' एवं 'छाया' पत्रिका

आपने क्या सीखा?

दोस्तों आपने इस लेख के माध्यम से Padumlal Punnalal Bakshi ka Jeevan Parichay के बारे में अवगत कराया गया है। यहाँ पर पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी का जीवन परिचय को बहुत सरल और बेहद सटीक तरीके से बताने का प्रयास किया है। मुझे आशा है कि आपको Padumlal punnalal bakhshi ki jivani जरूर पसंद आयी होगी। 

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